कुछ ऐसा हो जाए.....
कुछ ऐसा हो जाए ओ जी
कुछ ऐसा हो जाए
धरती अंबर चन्दा सूरज
खेलें आँख मिचौली
धूप चाँदनी वर्षा बादल
जमकर करें ठिठोली
चन्दा आए धरती पर फिर..
यहीं कहीं खो जाए.
कुछ ऐसा हो जाए ओ जी
कुछ ऐसा हो जाए
चन्दा की बुढ़िया से भी तो
करनी हैं कुछ बातें
ठिठुर-ठिठुर कर ठंडक में
कैसे कटती हैं रातें
हम काते उसका चरखा
बुढ़िया रानी सो जाए.
कुछ ऐसा हो जाए ओ जी
कुछ ऐसा हो जाए.
ठंडा ठंडा होता चन्दा
उसको हम गर्मी दें
गर्मी में जब बहे पसीना
हम उससे ठंडक लें
फिर काहे की सर्दी गर्मी
ये आए वो जाए.
कुछ ऐसा हो जाए ओ जी
कुछ ऐसा हो जाए
मुबीना खान,
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source: http://baal-mandir.blogspot.in
beautiful poem, my kids liked it very much
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